8. फ़रिशतगाने ख़ुदा

سایٹ دفتر حضرت آیة اللہ العظمی ناصر مکارم شیرازی

صفحه کاربران ویژه - خروج
ذخیره کریں
 
हमारे(शियों के)अक़ीदे
9. इबादत सिर्फ़ अल्लाह से मख़सूस है।7. हमारा अक़ीदह है कि अस्ले तौहीदे अफ़आली इस हक़ीक़त की ताकीद करती है

8)फ़रिशतगाने ख़ुदा

फ़रिश्तों के वुजूद पर हमारा अक़ीदह है कि और हम मानते हैं कि उन में से हर एक की एक ख़ास ज़िम्मेदारी है-
एक गिरोह पैगम्बरों पर वही ले जाने पर मामूर हैं।[26]
एक गिरोह इँसानों के आमाल को हिफ़्ज़ करने पर[27]
एक गिरोह रूहों को क़ब्ज़ करने पर[28]
एक गिरोह इस्तेक़ामत के लिए मोमिनो की मदद करने पर[29]
एक गिरोह जँग मे मोमिनों की मदद करने पर[30]
एक गिरोह बाग़ी कौमों को सज़ा देने पर[31]
और उनकी एक सबसे अहम ज़िम्मेदारी इस जहान के निज़ाम में है।
क्योँ कि यह सब ज़िम्मेदारियाँ अल्लाह के हुक्म और उसकी ताक़त से है लिहाज़ अस्ले तौहीदे अफ़आली व तौहीदे रबूबियत की मुतनाफ़ी नही हैं बल्कि उस पर ताकीद है।
ज़िमनन यहाँ से मस्ला-ए-शफ़ाअते पैग़म्बरान, मासूमीन व फ़रिश्तेगान भी रौशन हो जाता है क्योँ कि यह अल्लाह के हुक्म से है लिहाज़ा ऐने तौहीद है। “मा मिन शफ़ीइन इल्ला मिन बअदि इज़निहि ”[32] यानी कोई शफ़ाअत करने वाला नही है मगर अल्लाह के हुक्म से।
मस्ला ए शफ़ाअत और तवस्सुल के बारे में और ज़्यादा शरह (व्याख्या) नबूवते अंबिया की बहस में देँ गे।

 
9. इबादत सिर्फ़ अल्लाह से मख़सूस है।7. हमारा अक़ीदह है कि अस्ले तौहीदे अफ़आली इस हक़ीक़त की ताकीद करती है
12
13
14
15
16
17
18
19
20
Lotus
Mitra
Nazanin
Titr
Tahoma